रिश्तों के दबाव से निकलकर सुनंदा ने बनाई अपनी पहचान

  •       सुनंदा की पहचान  part-1

आज मै आप के साथ एक एसी कहानी share करने जा रही हु एक एसी लड़की की कहानी  जिसकी जिंदगी  शादी  बाद   ससुराल  नरक बन  जाती है और बड़े- बडे तूफानों से निकलकर अ आखिर वह अपनी पहचान बना पाती  है!


सुनंदा नाम की लड़की जिसकी उम्र अभी 15 साल की थी जब सुनंदा पढ़ रही रही थी तो उनके रिश्तेदारों ने यह कहना शुरू कर दिया की लड़की को इतना पढ़ा कर क्या करना है यह तो अपने ससुराल में चली जाएगी और चूल्हा चौका ही संभालेगी। दबाव में आकर उनके मां बाप ने उसका रिश्ता तय कर दिया रिश्तेदारों की एक रिश्ता आया जो शहर में था लड़की शहर में जाएगी और खुश रहेगी यह सोच कर उनके मां बाप ने उसका रिश्ता वहां पक्का कर दिया ।लेकिन  ससुराल की प्रोपर्टी नहीं थी ।जब इस लडकी की शादी हुई थी तब  इसकी उम्र बहुत कम थी। ऐसे में लड़कियों को छोटी सी उम्र में ही ब्हा दिया जाता था 15 साल की उम्र में ही सुनंदा का ब्याह कर दिया गया जिस घर में सुनंदा ब्याही गई उसके घर के हालात बिल्कुल भी अच्छी नहीं थे। 


लड़की के घरवालों की तरफ से बस इतना ही देखा की लड़के वाले शहर में रहते हैं ,लेकिन उनके घर बाहर और परिवार के बारे में बिल्कुल नहीं देखा । बस रिश्तेदारों पर विश्वास पर  ही लड़की को विदा कर दिया गया। जब सुनंदा उस घर में  गई तो घर के हालात देखकर चकित रह गई उसके ससुराल के घर के हालात बिल्कुल भी अच्छे नहीं थे काफी भारी परिवार था जिसे छोटी सी सुनंदा ने संभालना था।



छोटी सी सुनंदा  खेलने कूदने की उमर मे  परिवार की बडी जिम्मेदारियों को संभालना था। शादी से पहले सुनंदा के पिता सुनंदा की शादी के लिए राजी नहीं थे। वह चाहते थे कि सुनंदा और पढ़ें और पढ़ लिख कर कुछ बने लेकिन उनके रिश्तेदारों के दबाव में आकर सुनंदा की शादी कर दी गई एक और से सुनंदा दुखी थी कि उसे अपने मां बाप को छोड़कर दूसरे कर जाना है , लेकिन दूसरी और वह खुश भी थी कि उसे शादी के बाद नए कपड़े और अच्छा अच्छा मेकअप का सामान मिलेगा और मेकअप करके और भी खूबसूरत लगेगी , लेकिन उसको मालूम नहीं था कि जब वह अपने ससुराल घर  जाएगी तो मेकअप में उसकी मासूमियत और भी फीकी पड़ जाएगी शादी के बाद पूरी जिम्मेदारियां सुनंदा के कंधों पर डाल दी गई पति के और भी भाई बहन थे लेकिन किसी का भी व्यवहार सुनंदा के प्रति अच्छा नहीं था। सारे सुनंदा पर अपना दबाव डालना चाहते थे और उसे अपनी मर्जी से चलाना चाहते थे।




सुनंदा ने धीरे-धीरे अपने आप को ससुराल वालों के हिसाब से डालना शुरू कर दिया लेकिन अगर सुनंदा  की तरफ से थोड़ी सी भी  कोई कमी रहती तो उसके लिए सुनंदा को  बहुत जलील होना  पड़ता था अगर सब्जी में नमक ज्यादा या कम  हो जाता तो उसका पति उसे बालों से खींचता और फटकार लगाता अगर सफाई में कोई कमी रह जाती तो उसके सास उसे ताने मारती कि तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया तुम्हें कुछ नहीं आता यह सब सीख कर आई हो वहां से और घर के दूसरे परिवार वाले भी उसे सारा दिन टिकने नहीं देते थे वह सुनंदा को किसी ना किसी काम में लगाई रखते थे उसका पति गुस्से के साथ-साथ शराबी भी था रात को उसका पति शराब पीकर घर पर लेट आता था सुनंदा जब तक उसका पति घर पर नहीं आ जाता था तो वह रात को सोती नहीं थी कई बार उसका पति रात 11 या12 बजे घर आता अगर वह सुनंदा को सोया हुआ पाता तो उसे खूब पीटता और उसे खाना लाने के लिए कहता ।




सुनंदा थोड़ा तैयार भी हो जाती थोड़ा मेकअप कर लेती बाल बना लेती तो उसका पति उसको डांट लगाता था कि तुमने किसी ब्हा  में जाना है या  किसी function में जाना है जो इतना सजी सवरी हो। सुनंदा को बाल तक बनाने नहीं दिया जाता था और सुनंदा की हालत देखने को इतनी बुरी हो गई थी कि वह खुद को भी पहचान नहीं पाती थी हर पल में वह अपने माता-पिता को याद करती और रोती रहती थी माता पिता के लाड प्यार और घर की वह मौज मस्ती उसके कोसों दूर रह गई थी, उसे पता था कि वह पल कभी भी वापस नहीं आएंगे। उसे पता था कि वह बहुत बुरे दलदल में फंस चुकी है। कभी रोते हुए हैं यह सोचती कि उसके घर वालों ने सिर्फ यही देखा कि लड़के वाले शहर में रहते हैं लेकिन ना लड़के को देखा और ना ससुराल के परिवार को दिखा जहां उसने अपनी सारी जिंदगी गुजारनी थी । लेकिन परिवार वालों पर भी रिश्तेदारों ने दबाव बना दिया था। लेकिन अब सुनंदा को इस दलदल में अपने वह रिश्तेदार कहीं भी आसपास दिखाई नहीं देते उसे अकेले छोड़ दिया क्या यह सब सहन करने के लिए, उस पर सभी ने अपनी मर्जी चला कर उस की जिंदगी को नर्क बना दिया ।


अब क्या करें सुनंदा कैसे निकले इस दलदल से, ऐसे तो उसकी जिंदगी कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी क्योंकि उसके ससुराल के मेंबर हर दिन उससे अपने काम करवाते हैं और थोडा सा वह अपने लिए कुछ चाहतीं तो  उसे नीचा  दिखाया जाता  और कितना नीचे गिरे सुनंदा। पति से कितनी मार खाई है और सुनंदा में अब इतना दम नहीं रहा। कि वह अपनी सांस के और ताने सुने। सुनंदा का वजूद धीरे-धीरे खत्म हो रहा था , उसकी उसकी खुद की कोई सोच ही नहीं रही थी। सभी अपनी सोच सुनंदा पर थोप रहे थे। क्या दोष है सुनंदा का, घरवालों की मर्जी से ही उसने बिहा किया था और ससुराल वालों की मर्जी से ही चल रही है किस बात की सजा मिल रही है सुनंदा को ऐसा व्यवहार तो जानवरों के साथ भी नहीं किया जाता। 

अब सुनंदा कहीं ना कहीं खुद के वजूद को ढूंढ रही थी कोई सुनवाई नहीं थी सुनंदा की , उसकी किसी बात की कोई value नहीं थी। इस कदर उसे दबा कर रखा जाता था । कितना और सहन करे सुनंदा आखर पूरी तरह टूट गई थी। 15 साल की वह बालिका को जब उसके मां-बाप  मिलने आए तो वह उनके गले मिलकर खूब रोई फुट फुट कर रोई, मानो समूंदर समआया हुआ था उसकी आंखो में और उसने सारा  समंदर भहा दिया हो। जब उसके माता-पिता ने उसकी यह हालत देखी तो उनका दिल पसीज गया और वह भी फूट-फूटकर रोए उनके दिल से आह निकलती रही और अपनी उस दिन को कोसते रहे जब उन्होंने अपनी नन्ही परी को इन कसाईयों  के घर भेजा था।


अपनी परी को इस है हालत देखकर उसके मा बाप ने यह decision लिया कि अब उनकी बेटी यहा नही रहेगी । किसी भी कीमत मे यहा पर नही छोडेगे ओर वह अपनी बेटी को जबरदस्ती वहां से ले गए। अभी  तो सुनंदा की आदि मुश्किल ही हल हुई थी अभी उसने आगे मायके में भी जमाने का सामना करना था दुनिया वालों का सामना करना था। चलता..…


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