ज्यादा बोलना होता है खतरनाक, अपनी जुबान से बनाएं लोगों में पहचान

      ज्यादा बोलना होता है खतरनाक, अपनी                 जुबान से बनाएं लोगों में पहचान   



 जिस विषय पर आपको जानकारी ना हो, उस विषय पर आप कम ह
जिस विषय पर आपको जानकारी ना हो, उस विषय पर आप कम ही बोलें क्योंकि आपकी अज्ञानता की वजह से गलत बात आपके मुंह से निकल सकती है, जिससे आप मजाक के पात्र बन सकते हैं।दूसरों की बातों को भी ध्यान से सुने सिर्फ अपनी ही बात ना रखें
बातचीत के दौरान सामने वाले का भी पूरा सम्मान करें तभी आपको सम्मान मिलेगा ।

–          मौन रहना सब से बेहतर है। ज्यादा बोलने के नुकसान – मौन रहना एक साधना है, और सोच सोच समझ कर बोलना एक कला….
 अगर आपके शब्द किसी को मानसिक ठेस पहुंचा रहे हैं तो वहां चुप हो जाना चाहिए। कमजोर व्यक्ति के बारे में कुछ भी बोलकर आप महान नहीं बन सकते। महान आप किसी कमजोर का साथ देने में बनेंगे।
 बिना किसी वजह अगर आप दूसरों के मुद्दों पर बोलेंगे तो यह आपके लिए अनिष्टकारी रहेगा। इसमें केवल और केवल आपका ही नुकसान है।
किसी पर चिल्लाने से आपके व्यवहार के बारे में पता चलता है। ज्यादा बोलने से चीजें हमेशा खराब ही हो जाती हैं।अगर आप बिना चिल्लाए कोई बात नहीं कह सकते तो वहां आपका चुप रहने में ही भलाई है।
यदि सामने वाला का रिएक्शन नकारात्मक है तो चुप हो जाने में ही भलाई है. ये देखे कि सामने वाला उसमे रूचि ले रहा है या नहीं. किसी और को परेशान न करते हुए कुछ बातें खुद से करे. और ये सोचिए जब आप इतने समय किसी और से बात करते होंगे तब सामने वाले को कैसा महसूस होता होगा.
जीवन में कुछ समय उपवास को जरूर महत्व दें। अन्न का नियंत्रण शरीर की दशा और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालेगा और जब हम विचारों का उपवास करेंगे तो जो शून्यता भीतर उतरेगी वह शांति को उपलब्ध कराएगी। ध्यान में शरीर को थोड़ा शिथिल करना पड़ता है। जो लोग कम अन्न लेंगे उनका शरीर उनकी मदद करेगा। एक बार शरीर ने सहमति, सहयोग दे दिया तो फिर ध्यान बड़ा आसान हो जाता है, क्योंकि कुछ समय बाद शरीर को भी भूलना पड़ेगा।
एक बार शरीर भूलकर ध्यान में उतरे तो ऐसा लगेगा जैसे पूरा जीवन ही आपके भीतर केंद्रित हो गया है। आपके अलावा और कोई नहीं है और उन स्थितियों में आप अपने आपको शीघ्रता से शांत कर सकेंगे, इसलिए उपवास जरूर करें लेकिन ठीक से अर्थ समझकर।
धनयवाद।

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