जिद्दी बच्चों को कैसे संभाले -How to handle stuborn children
बच्चों की ज़िद का सामना करना और उसे कैसे हल किया जाए यह समझ पाना कई बार parents के लिए बहुत ही tough task होता है । बार-बार बच्चे को डांटने से उसे धमकी देने से बच्चा और भी बिगड़ने लगता है कई बार बच्चे की जिद्द इतनी बढ़ जाती है कि पेरेंट्स इरिटेट होने लगते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि हम अपने बच्चे को सही रास्ते पर कैसे लेकर आए। वह बच्चे की मानसिक स्थिति को समझ ही नहीं पाते के बच्चों को क्या चाहिए बच्चा क्यों ऐसे कर रहा है जब वह खुद ही नहीं जान पाते उनका बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है तो छोटा सा बच्चा कैसे समझ पाएगा कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है।
डर और धमकी देना बच्चे के लिए हो सकता है खतरनाक-
जो normal parents होते है, वह बच्चे के behavior को देखते हैं और अगर बच्चे का behavior अच्छा है तो उससे अच्छा मानने लगते हैं और अगर बच्चे का behavior बुरा है तो उसे बुरा मानने लगते है,ओर जो successful parents होते है वह बच्चे के behavior को अलग रखते हैं और बच्चे को अलग रखते है और बच्चे की change हुए behavior को जानने की कोशिश करते हैं उनके imotions के साथ connect होने की कोशिश करते है
अगर बच्चे को आप बार-बार धमकी, डर दिखाए या मार कर सुधारने की कोशिश करेंगे तो आप भूल जाएगे कि ऐसे बच्चा कभी सुधर सकेगा ऐसे तो बच्चे की मानसिक स्थिति और भी बिगड़ जाऐगी, वह आपसे कोई भी बात नहीं कर सकेगा और कोई भी बात शेयर करने से डरने लगेगा और धीरे-धीरे वह आप से दूर होने लगेगा ऐसी में आपका बच्चा आपके नजदीक होने की बजाय आपसे दूर हो जाएगा और आप उसको कभी भी सही रास्ते पर
नही ला सकेंगे। आप बच्चे के साथ ऊंची आवाज में कभी भी बात ना करें आपके बच्चे को भी ऐसे ही ऊंची आवाज में बात करने की आदत पड़ सकती है इसलिए बच्चों की आंदतों को देखने से पहले आप अपनी खुद की आदतों को सुथारे ।
अपने बच्चों को compare करने से पहले खुद को दूसरों से compare करे - जब आप अपने बच्चे दूसरों के बच्चों से compare करते हैं तो तब भी बच्चे बहुत जिद्दी हो जाते हैं और आपका कहना नहीं मानते अगर आपके बच्चे आपको किसी दूसरे से या किसी दूसरे पेरेंट्स से compareकरें तो आपको कैसा लगेगा अगर वह आपसे बहुत उम्मीदें लगा कर बैठे हो और आप उनकी उम्मीदों को पुरा ना कर पाए और आपके बच्चे आप पर चलाएं आपको डर दिखाएं तो आपको कैसा लगेगा। अगर आपके बच्चे आप पर किसी तरह से पैसा लगाएंगे कुछ करने में आपकी help करेंगे और आप उस में नाकामयाब हो जाएंगे तो आपके बच्चे का भी reactionयही हुआ जैसे की आप का उनके पर्ती होता है तो आपको कैसा लगेगा अगर आपको अपने बच्चे को बदलना है तो पहले खुद को बदलना होगा खुद अपने exam में पास होना होगा तब अपने बच्चे को मैं समझ कर बदले।
बच्चे का ज्यादा टीवी देखना और फोन पर गेम खेलना -
Children watching exess tv and games on the phone
आजकल के बच्चों की जो main problem है ज्यादा टीवी देखना ओर फोन पर गेम खेलते रहना ,यह प्रॉब्लम आम करके 7 या 8 साल के बच्चो की होती है। जब हम बच्चों को रोक नहीं सकते हैं तो वह हमारा कहना नहीं मानते हैं थोड़े समय के लिए चाहे हम उन्हें डरा कर मार कर या फिर दमकी देकर मना ले, कुश समह के लिए वह इनसे दुर रहे गे लेकिन कुश समह बाद बच्चे ओर भी जय्दा इनसे attach हो जाऐगे ओर धीरे धीरे वह आपकी कोइ भी बात मान ने से इनकार करेगा ओर आप से नफरत भी करने लगेगा।
वह आपके रोज के लेक्चर से बोर होने लगेगा और आपकी बातों में से intrest लेना बंद कर देगा और बच्चा बौखलाया रहेगा, कंफ्यूज रहेगा और धीरे-धीरे stress मे चला जाएगा और वह आपको बता भी नहीं पाएगा की उसके साथ क्या हो रहा है आप बच्चे के मन में अपना डर मत बैठाए ।आप बच्चे के मन के साथ मनमानी नहीं कर सकते और ना ही बच्चे से ऊंची आवाज से बात करें ना उन्हें आखें दिखाएं ऐसा करने से धीरे धीरे बच्चा आप की वही आदते अपनाए गा।
खुद को change करे
Change yourself
अगर बच्चे को सुधारना है तो पहले खुद को चेंज करना होगा खुद के गुस्से पर कंट्रोल करें बहुत patience रखना होगा , खुद को समझें और अपने आप से सवाल करें कि अगर आपको कोइ चीज पसंद नहीं है और कोई आपके साथ जबरदस्ती वही करवाए तो आपको कैसा लगेगा ।
अगर बच्चे को बदलना है तो उनके दिन को intresting बनाए-
If you want to change their behavior,make their day intresting
बच्चों का बचपन होता है खेलने के लिए हसने और कुदने के लिए। उसके बचपन को वैसा ही बनाए इसी तरह से ही आपके बच्चे की अच्छी growth हो सकती है । और जब आप बच्चे से उम्मीदें लगाना शुरू कर देते हैं उसके ऊपर पूरी नजर रखनी शुरू कर देते हैं तो बच्चा घुटन महसूस करने लगता है बच्चे के मन में असुरक्षा पैदा होने लगती है हर समय डरा और सहमा सा रहने लगता है उसे कोई रोकना दे या कोई टोक ना दे ,ऐसे बच्चे खुलकर कभी भी जी नहीं पाएगे व ह खुद को दूसरों से कमजोर महसूस करें, और mentally strong नहीं हो पाएगा ।
बच्चे के दिन के schedule को चेंज करें
How to change schedule of your child
आपको अपने बच्चे को सही रास्ते पर लाने के लिए उसके दिन के schedule को चेंज करना होगा लेकिन ड्रा कर धमकाकर और जबरदस्ती से नहीं बल्कि प्यार से उनके दिन को इंटरेस्टिंग बनाएं उनके दिन का पूरा शेड्यूल बनाएं जिसमें वह बिल्कुल भी डिप्रेस्ड फील ना करें उसमें बहुत सारी चीजें ज्यादा शामिल करें जो उसे अच्छी लगती है और जो उसे अच्छी नहीं लगती उनका टाइमटेबल बनाए बच्चे से emotionally attach हुए, बच्चे को खेलकूद पसंद दो होता है और आप भी अपने बच्चे के साथ कुश टाइम खेलने मे spend करें और रोज के शेड्यूल में शामिल करें अगर आप बिजी है तो कम से कम 15 -20 मिनट बच्चे के साथ जरूर खेले ।
जिन बच्चों को पढ़ाई लिखाई पसंद नहीं है तो उसका टाइम थोड़ा थोड़ा कर कर दे जैसे कि आधा घंटा पढ़ाई और बीच में 15-20 मिनट या आधा घंटा किसी तरह के खेल का रखें जिससे आपका बच्चा बोर नहीं होगा और पढ़ाई में स्ट्रेस भी feel नहीं करेगा ओर अगर बच्चे का फोन और टीवी में भी इंटरेस्ट है तो आप एक टाइम टेबल बनाएं जैसे कि छोटे बच्चों को कार्टून देखना बहुत पसंद है तो उन्हें एक घंटा कार्टून देखने के बाद कुछ प्ले की एक्टिविटी करवाएं और उसके बाद कुश टाइम के लिए फोन दे सकते हैं यह आपके लिए पहले कुछ दिनों के लिए थोड़ा डिफिकल्ट होगा लेकिन धीरे धीरे बच्चे को इसकी आदत पड़ जाएगी।
आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके बच्चे का behaviar चेंज होने लगेगा जो बच्चे सारा दिन रोते रहते थे जिद करते रहते थे मैं बच्चे का behavior धीरे-धीरे चेंज होने लगेगा वह secure feel करेगा ओर बहुत खुश रहने लगेगा। अगर घर मे ही उसे अचछा माहोल मिलेगा तो घर से ज्यादा attach रहेगा।
बच्चों की ज़िद का सामना करना और उसे कैसे हल किया जाए यह समझ पाना कई बार parents के लिए बहुत ही tough task होता है । बार-बार बच्चे को डांटने से उसे धमकी देने से बच्चा और भी बिगड़ने लगता है कई बार बच्चे की जिद्द इतनी बढ़ जाती है कि पेरेंट्स इरिटेट होने लगते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि हम अपने बच्चे को सही रास्ते पर कैसे लेकर आए। वह बच्चे की मानसिक स्थिति को समझ ही नहीं पाते के बच्चों को क्या चाहिए बच्चा क्यों ऐसे कर रहा है जब वह खुद ही नहीं जान पाते उनका बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है तो छोटा सा बच्चा कैसे समझ पाएगा कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है।
डर और धमकी देना बच्चे के लिए हो सकता है खतरनाक-
जो normal parents होते है, वह बच्चे के behavior को देखते हैं और अगर बच्चे का behavior अच्छा है तो उससे अच्छा मानने लगते हैं और अगर बच्चे का behavior बुरा है तो उसे बुरा मानने लगते है,ओर जो successful parents होते है वह बच्चे के behavior को अलग रखते हैं और बच्चे को अलग रखते है और बच्चे की change हुए behavior को जानने की कोशिश करते हैं उनके imotions के साथ connect होने की कोशिश करते है
अगर बच्चे को आप बार-बार धमकी, डर दिखाए या मार कर सुधारने की कोशिश करेंगे तो आप भूल जाएगे कि ऐसे बच्चा कभी सुधर सकेगा ऐसे तो बच्चे की मानसिक स्थिति और भी बिगड़ जाऐगी, वह आपसे कोई भी बात नहीं कर सकेगा और कोई भी बात शेयर करने से डरने लगेगा और धीरे-धीरे वह आप से दूर होने लगेगा ऐसी में आपका बच्चा आपके नजदीक होने की बजाय आपसे दूर हो जाएगा और आप उसको कभी भी सही रास्ते पर
नही ला सकेंगे। आप बच्चे के साथ ऊंची आवाज में कभी भी बात ना करें आपके बच्चे को भी ऐसे ही ऊंची आवाज में बात करने की आदत पड़ सकती है इसलिए बच्चों की आंदतों को देखने से पहले आप अपनी खुद की आदतों को सुथारे ।
अपने बच्चों को compare करने से पहले खुद को दूसरों से compare करे - जब आप अपने बच्चे दूसरों के बच्चों से compare करते हैं तो तब भी बच्चे बहुत जिद्दी हो जाते हैं और आपका कहना नहीं मानते अगर आपके बच्चे आपको किसी दूसरे से या किसी दूसरे पेरेंट्स से compareकरें तो आपको कैसा लगेगा अगर वह आपसे बहुत उम्मीदें लगा कर बैठे हो और आप उनकी उम्मीदों को पुरा ना कर पाए और आपके बच्चे आप पर चलाएं आपको डर दिखाएं तो आपको कैसा लगेगा। अगर आपके बच्चे आप पर किसी तरह से पैसा लगाएंगे कुछ करने में आपकी help करेंगे और आप उस में नाकामयाब हो जाएंगे तो आपके बच्चे का भी reactionयही हुआ जैसे की आप का उनके पर्ती होता है तो आपको कैसा लगेगा अगर आपको अपने बच्चे को बदलना है तो पहले खुद को बदलना होगा खुद अपने exam में पास होना होगा तब अपने बच्चे को मैं समझ कर बदले।
बच्चे का ज्यादा टीवी देखना और फोन पर गेम खेलना -
Children watching exess tv and games on the phone
आजकल के बच्चों की जो main problem है ज्यादा टीवी देखना ओर फोन पर गेम खेलते रहना ,यह प्रॉब्लम आम करके 7 या 8 साल के बच्चो की होती है। जब हम बच्चों को रोक नहीं सकते हैं तो वह हमारा कहना नहीं मानते हैं थोड़े समय के लिए चाहे हम उन्हें डरा कर मार कर या फिर दमकी देकर मना ले, कुश समह के लिए वह इनसे दुर रहे गे लेकिन कुश समह बाद बच्चे ओर भी जय्दा इनसे attach हो जाऐगे ओर धीरे धीरे वह आपकी कोइ भी बात मान ने से इनकार करेगा ओर आप से नफरत भी करने लगेगा।
वह आपके रोज के लेक्चर से बोर होने लगेगा और आपकी बातों में से intrest लेना बंद कर देगा और बच्चा बौखलाया रहेगा, कंफ्यूज रहेगा और धीरे-धीरे stress मे चला जाएगा और वह आपको बता भी नहीं पाएगा की उसके साथ क्या हो रहा है आप बच्चे के मन में अपना डर मत बैठाए ।आप बच्चे के मन के साथ मनमानी नहीं कर सकते और ना ही बच्चे से ऊंची आवाज से बात करें ना उन्हें आखें दिखाएं ऐसा करने से धीरे धीरे बच्चा आप की वही आदते अपनाए गा।
खुद को change करे
Change yourself
अगर बच्चे को सुधारना है तो पहले खुद को चेंज करना होगा खुद के गुस्से पर कंट्रोल करें बहुत patience रखना होगा , खुद को समझें और अपने आप से सवाल करें कि अगर आपको कोइ चीज पसंद नहीं है और कोई आपके साथ जबरदस्ती वही करवाए तो आपको कैसा लगेगा ।
अगर बच्चे को बदलना है तो उनके दिन को intresting बनाए-
If you want to change their behavior,make their day intresting
बच्चों का बचपन होता है खेलने के लिए हसने और कुदने के लिए। उसके बचपन को वैसा ही बनाए इसी तरह से ही आपके बच्चे की अच्छी growth हो सकती है । और जब आप बच्चे से उम्मीदें लगाना शुरू कर देते हैं उसके ऊपर पूरी नजर रखनी शुरू कर देते हैं तो बच्चा घुटन महसूस करने लगता है बच्चे के मन में असुरक्षा पैदा होने लगती है हर समय डरा और सहमा सा रहने लगता है उसे कोई रोकना दे या कोई टोक ना दे ,ऐसे बच्चे खुलकर कभी भी जी नहीं पाएगे व ह खुद को दूसरों से कमजोर महसूस करें, और mentally strong नहीं हो पाएगा ।
बच्चे के दिन के schedule को चेंज करें
How to change schedule of your child
आपको अपने बच्चे को सही रास्ते पर लाने के लिए उसके दिन के schedule को चेंज करना होगा लेकिन ड्रा कर धमकाकर और जबरदस्ती से नहीं बल्कि प्यार से उनके दिन को इंटरेस्टिंग बनाएं उनके दिन का पूरा शेड्यूल बनाएं जिसमें वह बिल्कुल भी डिप्रेस्ड फील ना करें उसमें बहुत सारी चीजें ज्यादा शामिल करें जो उसे अच्छी लगती है और जो उसे अच्छी नहीं लगती उनका टाइमटेबल बनाए बच्चे से emotionally attach हुए, बच्चे को खेलकूद पसंद दो होता है और आप भी अपने बच्चे के साथ कुश टाइम खेलने मे spend करें और रोज के शेड्यूल में शामिल करें अगर आप बिजी है तो कम से कम 15 -20 मिनट बच्चे के साथ जरूर खेले ।
जिन बच्चों को पढ़ाई लिखाई पसंद नहीं है तो उसका टाइम थोड़ा थोड़ा कर कर दे जैसे कि आधा घंटा पढ़ाई और बीच में 15-20 मिनट या आधा घंटा किसी तरह के खेल का रखें जिससे आपका बच्चा बोर नहीं होगा और पढ़ाई में स्ट्रेस भी feel नहीं करेगा ओर अगर बच्चे का फोन और टीवी में भी इंटरेस्ट है तो आप एक टाइम टेबल बनाएं जैसे कि छोटे बच्चों को कार्टून देखना बहुत पसंद है तो उन्हें एक घंटा कार्टून देखने के बाद कुछ प्ले की एक्टिविटी करवाएं और उसके बाद कुश टाइम के लिए फोन दे सकते हैं यह आपके लिए पहले कुछ दिनों के लिए थोड़ा डिफिकल्ट होगा लेकिन धीरे धीरे बच्चे को इसकी आदत पड़ जाएगी।
आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके बच्चे का behaviar चेंज होने लगेगा जो बच्चे सारा दिन रोते रहते थे जिद करते रहते थे मैं बच्चे का behavior धीरे-धीरे चेंज होने लगेगा वह secure feel करेगा ओर बहुत खुश रहने लगेगा। अगर घर मे ही उसे अचछा माहोल मिलेगा तो घर से ज्यादा attach रहेगा।
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